चंद्रघण्टा माता व्रत कथा और पूजा विधि । Chandraghanta Mata Vrat Katha Pooja Vidhi

प्रिय भक्तों नमस्कार, भक्तों इस लेख के माध्यम से आप चंद्रघण्टा माता व्रत कथा और पूजा विधि PDF/Chandraghanta Mata Vrat Katha Pooja Vidhi PDF के बारे में जान सकते हैं | प्रिय भक्तों नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित किया जाता है। इस दिन माता की तीसरी शक्ति की माता चंद्रघंटा के रूप में पूजा की जाती है।

माता चंद्रघंटा का यह स्वरूप परम शांतिपूर्ण एवं कृपामयी है। चंद्रघंटा माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। अतः उन्हें चंद्रघंटा देवी के रूप में इसीलिए ही जाना जाता है। यदि आप भक्तजन भी माता की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तथा बुद्धि, विद्या एवं बल अर्जित करना चाहते हैं तो नवरात्रि के तीसरे दिन पूरे विधि – विधान से माता चंद्रघंटा की पूजा करें।

चंद्रघण्टा माता व्रत कथा और पूजा विधि PDF / Chandraghanta Mata Vrat Katha Pooja Vidhi PDF

प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला। असुरों का स्वामी महिषासुर था और देवताओं के स्वामी भगवान इंद्र देव थे। महिषासुर ने देवतालोक पर विजय प्राप्त कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर लिया और स्वर्ग लोक पर राज करने लगा। इसे देख सभी देवी देवता चिंतित हो उठे और त्रिदेवों के पास जा पहुंचे।

देवताओं ने बताया कि महिषासुर ने इंद्र, सूर्य, चंद्र और वायु समेत अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और देवतागण पृथ्वी लोक पर विचरण कर रहे हैं। देवताओं की बात सुन ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे। क्रोध के कारण तीनों देवों के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई और देवगणों के शरीर से निकली ऊर्जा भी उस ऊर्जा में जाकर मिल गई।

दसों दिशाओं में व्याप्त होने के बाद इस ऊर्जा से मां भगवती का अवतरण हुआ। शंकर भगवान ने देवी को अपना त्रिशूल भेट किया।भगवान विष्णु ने भी उनको चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवता ने माता को अस्त्र-शस्त्र देकर सजा दिया। इंद्र ने भी अपना वज्र एवं ऐरावत हाथी माता को भेंट किया। सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर प्रदान किया। युद्धभूमि में देवी चंद्रघंटा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया।

माता चंद्रघंटा की आरती PDF/Mata Chandraghanta ki Aarti PDF

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे काम॥

चन्द्र समाज तू शीतल दाती।

चन्द्र तेज किरणों में समाती॥

मन की मालक मन भाती हो।

चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥

सुन्दर भाव को लाने वाली।

हर संकट में बचाने वाली॥

हर बुधवार को तुझे ध्याये।

श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥

मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।

सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगत दाता॥

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।

कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥

नाम तेरा रटू महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी॥

माता चंद्रघंटा पूजा विधि / Mata Chandraghanta Pooja Vidhi

  • सबसे पहले प्रातः उठकर स्नान करें तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़के।
  • माता चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके सामने दीपक जलाएं।
  • माता चंद्रघंटा को सिंदूर, पुष्प, सामग्री आदि अर्पित करें।
  • माता चंद्रघंटा को भोग के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें।
  • अंत में माता चंद्रघंटा की आरती करें और माता चंद्रघंटा से आशीर्वाद ग्रहण करें।

सभी भक्तगण नीचे दिए गये बटन पर क्लिक कर के चंद्रघण्टा माता व्रत कथा और पूजा विधि PDF/Chandraghanta Mata Vrat Katha & Pooja Vidhi PDFडाउनलोड कर सकते हैं!

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