नमस्कार दोस्तों, अगर आप सोमवती अमावस्या की व्रत कथा / Somvati Amavasya Katha PDF in Hindi खोज रहे हैं और कहीं नहीं मिल रही है तो चिंता न करें आप सही पेज पर हैं। सोमवती अमावस्या एक हिंदू त्योहार है जो सोमवार (सोमवार) को होने वाली अमावस्या (अमावस्या) पर पड़ता है। यह हिंदू धर्म में एक अत्यधिक शुभ दिन माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि एक ऐसा दिन होता है जब व्यक्ति महान आध्यात्मिक योग्यता और आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।
सोमवती अमावस्या पर, कई हिंदू एक पवित्र नदी या पानी के अन्य पवित्र शरीर में स्नान करते हैं, और भगवान शिव और अन्य देवताओं को प्रार्थना और प्रसाद चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन को भक्ति और भक्ति के साथ मनाने से आशीर्वाद, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास हो सकता है।
भारत के कुछ क्षेत्रों में सोमवती अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने की भी प्रथा है। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो अपने पति और परिवारों के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। कुल मिलाकर, सोमवती अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, और दुनिया भर के कई हिंदुओं द्वारा बड़ी भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
सोमवती अमावस्या की व्रत कथा | Somvati Amavasya Katha PDF in Hindi
एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। उस परिवार में पति-पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी। वह पुत्री धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उस पुत्री में समय और बढ़ती उम्र के साथ सभी स्त्रियोचित गुणों का विकास हो रहा था। वह लड़की सुंदर, संस्कारवान एवं गुणवान थी। किंतु गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। वो उस कन्या के सेवाभाव से काफी प्रसन्न हुए। कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधु ने कहा कि इस कन्या के हथेली में विवाह योग्य रेखा नहीं है।तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से उपाय पूछा, कि कन्या ऐसा क्या करें कि उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। साधु ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबिन जाति की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार-विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है।यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दें, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है। यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने की बात कही। अगल दिन कन्या प्रात: काल ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती। एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि- तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा- मां जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूं। इस पर दोनों सास-बहू निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है।कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं? तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा। सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया, उसका पति मर गया। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में वापस जान आ गई। धोबिन का पति वापस जीवित हो उठा।इसीलिए सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भंवरी देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अतः जो व्यक्ति हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं कि भंवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश का पूजन करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।ऐसी प्रचलित परंपरा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिंदूर और सुपाड़ी की भंवरी दी जाती है। उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने की सामग्री इत्यादि की भंवरी दी जाती है और फिर भंवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्राह्मण, ननंद या भांजे को दिया जा सकता है।
सोमवती अमावस्या व्रत विधि / Somvati Amavasya Vrat Vidhi
- सोमवती अमावस्या का व्रत विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु के लिये करती है ।
- इसे अश्वत्थ (पीपल) प्रदक्षिणा व्रत भी कहते हैं।
- इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्म तथा स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- अब सभी पूजन सामग्री लेकर पीपल के वृक्ष के पास जायें।
- पीपल की जड़ में लक्ष्मी नारायण की स्थापना करके दूध /जल अर्पित करें ।
- पीपल की जड़ में सूत लपेट दें भगवान का ध्यान करके पुष्प, अक्षत, चन्दन, भोग, धूप इत्यादि अर्पण करें।
- फिर प्रेमपूर्वक हाथ जोड़कर भगवान की प्रार्थना करें अब पेड़ के चारों ओर “ॐ श्री वासुदेवाय नम: ” बोलते हुए 108 बार परिक्रमा करें।
- इसके बाद कथा सुनें अथवा सुनाये।
- सामर्थ्यानुसार दान दें।
- ऐसा करने से भगवान पुत्र, पौत्र ,धन, धान्य तथा सभी मनोवांछित फल प्रदान करते हैं ।
- ध्यान दें – इस दिन मूली और रूई का स्पर्श ना करें ।
Here you can download सोमवती अमावस्या की व्रत कथा | Somvati Amavasya Katha PDF in Hindi by clicking on the download button.